October 9, 2018
Lord_Ramji-hd.jpg

Elucidating the importance of Ramnaam, Sadguru Shree Aniruddha says that Ramnaam is the Sadguru in itself. It is said that there is no such sin, which cannot be destroyed by Ramnaam, there is no such sinner who cannot be delivered from sin by the Ramnaam, and there will never be one. Hence, many Indian saints such as Tulsidas, Ramdas and many others reiterate the significance of Ramnaam before us.

It is not necessary to perform long-drawn penance or austerity to please Shree Ram. Shree Ram bestows his grace on every Bhakta, who does his bhakti even to the slightest extent or puts in even the modest of efforts in his pursuance.

Several saints have described the importance of Ramnaam through their various sacred works, Abhangas (devotional songs) and compositions –

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा। गरल सुधा रिपु करहिं मिताई गोपद सिंधु अनल सितलाई॥

(सुंदरकांड २९)

[Prabisi Nagar Kijey Sab Kaaja, Hriday Rakhi Kosalpur Raja
Garal Sada Ripu Karai Mitai, Gopad Sindhu Anull Sitlai]

(Meaning- When one keeps Kausalpur’s King Lord Rama in his heart and enters the city to do the assigned work, he certainly achieves success.)

The Mahamantra of the Bhagwat Dharma, ‘Jai Jai Ram Krishna Hari’ was granted upon great Saint Tukaram by his Sadguru. The burning in the throat that Lord Paramshiva felt after consuming the Halahal poison obtained during the Amritmanthan (churning of the ocean) was soothed only after chanting of the Ramnaam. Also, Shree Hanuman says in Sunderkand

 सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछु मोरि प्रभुताई॥
                                                                     (सुंदरकांड १८९)

[Sau Sab Tav Pratap Raghurai, Nath Na Kachhu Mori Prabhutai]

(Meaning- O Raghuraya! It is not my greatness, but it is you and your glory alone that has made all of this possible!)

हिंदी मराठी


October 9, 2018
Lord_Ramji-hd.jpg

रामनामाचं महत्व विषद करताना सद्‍गुरु श्रीअनिरुद्ध म्हणतात की रामनाम हे स्वतः सद्‌गुरु आहे. रामनामाबद्दल सांगितले गेले आहे आहे की रामनामाने नाश झाला नाही अशी पापं नाहीत आणि रामनामाने उद्धरला नाही असा पापी नाही आणि होणारही नाही. आणि म्हणूनच ह्या भारतभूमीवरील तुलसीदास, रामदास यांसारखे अनेक संत या रामनामाचे महत्व आपल्यासमोर मांडतात.

रामाला प्रसन्न करण्यासाठी मोठमोठ्या तपश्च्यर्यांची किंवा साधनांची गरज नाही. राम हा कोणी जरी थोडीशी सुद्धा भक्ति केली, त्याच्यासाठी अगदी अल्पही प्रयास केले, तरी त्या भक्ताचे कल्याण करतो.

अनेक संतांनी रामनामाचे महत्व अनेक ग्रंथातून, अभंगातून, त्यांच्या रचनांमधून सांगितले आहे.
उदाहरण द्यायचेच झाले तर :

१) संत तुलसीदासजी त्यांच्या रामचरितमानस या ग्रंथातील सुंदरकांड या पर्वात म्हणतात,

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा।
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई ।।

                                                                                              (सुंदरकांड २९)

(अर्थ: आपण नगरात शिरुन सर्व काम करावे. श्रीरामांना ह्र्द्यात धारण करुन काम करताना विषदेखील अमृत होते व शत्रूदेखील त्याच्याशी मैत्री करतो. समुद्र गायीच्या खुराच्या आकाराच्या खड्ड्यात सामावला जातो व अग्नीचा दाहकपणा दूर होतो.)

’जय जय रामकृष्ण हरि’ हा भागवत धर्माचा महामंत्रच श्रेष्ठ संत तुकारामांना त्यांच्या सद्‌गुरुंनी दिला अमृतमंथनाच्या वेळेस बाहेर आलेले हलाहल विष प्यायलानंतर परमशिवाला दाह होऊ लागला व त्या दाहाचे शमन केवळ रामनामाचा जप केल्यानेच झाले आणि प्रत्यक्ष हनुमानजीही सुंदरकांडामध्ये प्रभू रामचंद्रांना सांगतात,

सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई।।

                                                                 (सुंदरकांड १८९)

(अर्थ: हे रघुनाथा! सर्वकाही आपल्या प्रतापामुळेच घडले. हे नाथ! त्यात माझा काहीही मोठेपणा नाही.)

 

English हिंदी


October 9, 2018
Store-AnjanaMata-Book.jpg

In 2011, on the occasion of ‘Shree Varadchandika Prasannotsav’, Sadguru Aniruddha gave a unique gift to the ‘Aniruddha’s Universal Bank of Ramnaam’ to help everyone to increase propinquity to God and to succeed on the path of ‘Bhakti’ more effectively. This gift was the ‘Anjanamata’ book. Anjanamata (Aadimata Anjani) is the mother of ‘Mahapran’ Hanuman. Shree Hanuman is the only one who possesses the ‘Swaha’ (complete dedication) and the ‘Swadha’ (self-sufficiency), both the qualities together at the same time. Hence, for us to obtain them, the book has been designed in such a way that the mantra ‘Om Harimarkataya Swaha’ is written below the left feet of Shree Hanuman.

Aanjanamata Book – Jap Count

Jap Jap Count
Om ShreePanchamukhaHanumantaya Anjaneyay namo Namah
Om  HariMarkataya Swaha
ShriMahakundalini Anjanamata Vijayate
Om Anjanisutaya Mahaviryapramathanaya Swaha
Om Shri Ramadutaya hanumantaya Mahapranaya mahabalaya Namo Namah

October 8, 2018
Store-ramnaam-book-08-1280x834.jpg

The Ramnaam (the name Shree Ram) is the most sacred name; so is the Gurunaam.” I am therefore starting a bank, a bank of the Ramnaam, the name of God.”

– Sadguru Shree Aniruddha

These words of Sadguru Shree Aniruddha marked the initiation of the project, which meant to provide joy and fill happiness in the lives of all Shraddhavans. This unique project, launched on 18th August 2005 is known as the ‘Aniruddha’s Universal Bank of Ramnaam’.

A common man still gets cold feet when it comes to a bank, banking transactions and its rules. However, the ‘Bank of Ramnaam’ drives away all sorts of fears, problems and anxieties. Every Shraddhavan feels the close bond with this Bank, which is based on simple rules.

In the very first month of its inception, 43,138 accounts were opened, and 62,158 Ramnaam books were deposited with the Bank.

 

मराठी  हिंदी 


October 3, 2018
Store-AnjanaMata-Book.jpg

भगवंताशी सामिप्य अधिक वाढावे व भक्तिमार्गावर अधिकाधिक आणि वेगाने प्रगती करता यावी, यासाठी सद्‍गुरु श्रीअनिरुद्धांनी २०११ साली ‘श्रीवरदचंडिका प्रसन्नोत्सवा’ त ‘अनिरुद्धाज् युनिव्हर्सल बँक ऑफ रामनाम’ ला एक अनोखी भेट दिली. ही भेट होती, अंजनामाता वहीची!

अंजनामातेचा (आदिमाता अंजनीचा) पुत्र म्हणजे महाप्राण हनुमंत. हा एकमेव ‘हनुमंत’च असा आहे, ज्याने ‘स्वाहा’ (पूर्ण समर्पण) व ‘स्वधा’ (पूर्ण स्वावलंबन, स्वयंपूर्णता) हे दोन्ही गुण धारण केले आहेत. म्हणूनच हा स्वधाकार प्राप्त करून घेण्यासाठी ‘ॐ हरिमर्कटाय स्वाहा’ हा मंत्र हनुमंताच्या डाव्या चरणाच्या खाली लिहिला जाईल अशी रचना ह्या वहीमध्ये केलेली आहे.

अंजनामाता वही – जप संख्या

जप जप संख्या
ॐ श्रीपंचमुखहनुमन्ताय आंजनेयाय नमो नम:।
ॐ हरिमर्कटाय स्वाहा।
श्रीमहाकुंडलिनी अंजनामाता विजयते।
ॐ अंजनीसुताय महावीर्यप्रमथनाय स्वाहा।
ॐ श्री रामदूताय हनुमन्ताय महाप्राणाय महाबलाय नमो नम:।

September 17, 2018
Lord_Ramji.jpg

रामनाम का महत्व समझाते हुए सद्‌गुरु श्री अनिरुद्धजी कहते हैं कि, रामनाम स्वयं अपनेआप में सद्‍गुरु है। रामनाम के बारे में कहा गया है कि, रामनाम से नाश न हो ऐसा पाप नहीं है और रामनाम से उद्धार न हो ऐसा पापी नहीं है, और होगा भी नहीं। इसीलिए इस भारतभूमि में तुलसीदासजी, रामदासजी, जैसे अनेक संत रामनाम का महत्व हमारे समक्ष बयान करते हैं।

प्रभू श्रीराम को प्रसन्न करने के लिए बडी बडी तपस्याओं की अथवा साधनाओं की जरूरत नहीं है। यदि कोई रामजी की थोड़ीसी भी भक्ति करे, उनके लिए जरासे भी प्रयास करे, तब भी वे उस भक्त का कल्याण करते हैं।

कई संतों ने रामनाम का महत्व अनेक ग्रंथों के माध्यम से, अभंगो के माध्यम से, उनकी रचनाओं के माध्यम से बताया है। उदाहरण के तौर पर :

संत तुसलीदासजी अपने रामचरितमानस ग्रंथ में सुंदरकांड नामक पर्व में कहते है,

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा।
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई । गोपद सिंधु अनल सितलाई॥
                                                                                            (सुंदरकांड २९)

(अर्थ: आप नगर में प्रवेश करके सभी कार्य कीजिए। श्रीराम को अपने हृदय में धारण करके काम करते हुए विष भी अमृत बन जाता है और शत्रु भी उसके साथ मित्रता कर लेता है। समुद्र गाय के खुर के आकार के गड्‍डे में समाया जाता है तथा अग्नि की दाहकता दूर हो जाती है।)

भागवत धर्म का महामंत्र ‘जय जय रामकृष्ण हरि’ श्रेष्ठ संत तुकारामजी को उनके सद्‍गुरु ने दिया। अमृतमंथन के समय निकला हुए हलाहल विष पी लेने पर परमशिवजी को दाह होने लगा और उस दाह का शमन केवल रामनाम का जाप करने से ही हुआ तथा साक्षात हनुमानजी भी सुंदरकांड में प्रभु श्रीरामचंद्र से कहते हैं,

सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछु मोरि प्रभुताई॥
                                                                                    (सुंदरकांड १८९)

(अर्थ: हे रघुनाथ! सबकुछ आपके प्रताप के कारण ही हुआ। हे नाथ! इसमें मेरी कोई बड़ाई नहीं है।)

 

Englishमराठी

 


August 31, 2018
digital-ramnaam-book.jpg

बदलते हुए दौर के मद्देनजर इस रामनाम बही का अनोखा स्वरूप सद्‍गुरु श्रीअनिरुद्धजी के मार्गदर्शन अनुसार श्रद्धावानों के लिए उपलब्ध किया गया।

श्रद्धावानों का बढ़ता हुआ प्रतिसाद एवं टैकनॉलॉजी के इस्तेमाल से ७ अगस्त २०१८ को ’अनिरुद्धाज युनिवर्सल बैंक ऑफ रामनाम’ का अत्याधुनिक एवं प्रगत ‘डिजिटल’ संस्करण प्रस्तुत किया गया। स्मार्ट फोन्स एवं टैब में सर्वाधिक इस्तेमालवाले ‘ऐन्ड्रॉईड’ प्रणाली पर आधारित ‘ऑनलाईन/डिजिटल रामनाम बही’ उपलब्ध की गई। ‘ऐप्लिकेशन’ यानी ‘ऐप’ के स्वरूप में लाए गए इस डिजिटल संस्करण के रुप में रामनाम की संपूर्ण बैंक ही अब सीधे श्रद्धावानों के हाथों में आ पहुँची है।

गुगल के Play Store पर ‘https://play.google.com/store/apps/details?id=com.ramnaam_bank.ramnaambook‘ इस संकेत स्थल पर यह ऐप सभी के लिए उपलब्ध है। इस ऐप द्वारा ‘अनिरुद्धाज युनिवर्सल बैंक ऑफ रामनाम’ में नया अकाऊंट (खाता) खोलना, रामनाम की बही लेना और रामनाम लिखना सबकुछ आसानी से किया जा सकता है; वह भी बिलकुल बैठे-बैठे। बही लेने पर इंटरनेट के बिना भी अर्थात ‘ऑफलाईन’ होते हुए भी रामनाम लिखने में बाधा नहीं आएगी इस बात का ध्यान ‘ऐप’ में रखा गया है। बही पूर्ण हो जाने पर उसे सहजता से अपने अकाऊंट में ‘ऐड’ होने की एवं खाता अपडेट करने की सुविधा भी ऐप में उपलब्ध है।

English मराठी



Contact Us

Address:

101, Link Apartments, Old Khari Village, Khar (W), Mumbai – 40052, Maharashtra, India

Email Address: aubr.ramnaam@gmail.com

Timing: Monday to Saturday – 11 am to 7.30pm  (Excluding Thursday)

              Thursday: Thursday 11 am to 4 pm